प्रतिदिन एक समय भोजन करने वाला पुरुष अग्निष्टोम यज्ञ के फल का भागी होता है | पंचगव्य सेवन करने वाले मनुष्य को चान्द्रायण व्रत का फल मिलता है |यदि धीर पुरुष चतुर्मास में नित्य परिमित अन्न का भोजन करता है तो सब पातकों का नाश हो जाता है और वह वैकुंठ धाम को पाता है |
Hariom
ReplyDeletevery nice work..plz. keep updating and spread the light of knowledge of our BAPU